20 लाख बच्चों की तालीम छूटी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ का कहना है कि यमन में पिछले तीन वर्षों से चल रहे गृहयुद्ध ने बच्चों की स्कूली शिक्षा पर बहुत बुरा असर डाला है.

इस युद्ध की वजह से क़रीब 20 लाख बच्चों की स्कूली शिक्षा छूट गई है.

इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी बहुत नाज़ुक हालात का सामना कर रहे हैं क्योंकि क़रीब तीन चौथाई स्कूली अध्यापकों को पिछले क़रीब 18 महीनों से वेतन ही नहीं मिला है.

इस वजह से क़रीब 45 लाख अन्य बच्चों की स्कूली शिक्षा पर भी छूटने के बादल मंडराने लगे हैं.

बच्चों के घरों से स्कूल तक का सफ़र भी बहुत ख़तरनाक होता जा रहा है क्योंकि रास्ते में ही बच्चों की जान चली जाने का ख़तरा बढ़ गया है.

इस डर की वजह से बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने से ही डरने लगे हैं और बच्चे घरों में ही सीमित रहने लगे हैं.

यूनीसेफ़ ने यमन में बच्चों की स्कूली शिक्षा पर आई इस मुसीबत पर If not in School नाम से एक ताज़ा रिपोर्ट इस सप्ताह जिनीवा में जारी की.

यमन में यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि मैरीक्सेल रिलानो ने जिनीवा में इस मौक़े पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “तीन वर्षों से गृहयुद्ध का सामना कर रहे यमन में इस समय प्राईमरी स्कूल जाने की उम्र वाले क़रीब 20 लाख बच्चों से स्कूली शिक्षा छूट गई है.”

“सुरक्षा कारणों से उन्हें अपने घरों में ही बन्द रहना पड़ता है, इनमें से कुछ बच्चों को अपने परिवारों में काम करना पड़ता है. कुछ लड़कियों की 15 वर्ष से कम उम्र में ही शादियाँ कर दी जा रही हैं. जबकि कुछ बच्चों को लड़ाई के मैदानों में भेजा जा रहा है.”

“संयुक्त राष्ट्र के पास ऐसे पुख़्ता सबूत वाले मामलों की जानकारी मौजूद है जिनमें बच्चों को लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए भर्ती किया गया है.”

उनका कहना था कि यमन में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी का भविष्य अन्धकारमय नज़र आ रहा है क्योंकि उनके पास शिक्षा के बहुत सीमित या ना के बराबर साधन और मौक़े बचे हैं.

ढाई हज़ार से ज़्यादा स्कूल ख़ाली पड़े हैं. उनमें से क़रीब दो तिहाई स्कूल हमलों में तबाह हो चुके हैं.

बहुत से स्कूल सैनिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं और बहुत से स्कूलों में विस्थापित लोगों को ठहराया गया है. इस वजह से बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हो रहे हैं.