जनसंख्या दिवस और परिवार नियोजन

11 जुलाई को हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है.

ये दिवस मनाने का मक़सद जनसंख्या सम्बन्धी विषयों, मुद्दों और समस्याओं पर दुनिया भर का ध्यान खींचना होता है जिससे इन मुद्दों की अहमियत समझी जा सके. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 11 जुलाई 1987 को दुनिया की आबादी पाँच अरब तक पहुँच गई थी.

दुनिया भर के लोगों की दिलचस्पी उस दिन में इतने बड़े पैमाने पर देखी गई कि तभी से 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला कर लिया गया.

साल 1968 में मानवाधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था जिसमें पहली बार वैश्विक तौर पर ये स्वीकार किया गया और स्थापित भी हुआ कि Family planning यानी परिवार नियोजन मानवाधिकारों में शामिल है.

परिवार नियोजन साल 2018 के विश्व जनसंख्या दिवस की मुख्य थीम भी है.

लेकिन विश्व जनसंख्या कोष की कार्यकारी निदेशक नतालिया कैनेम ने एक क़दम और आगे बढ़ाया है.

उनका कहना है कि परिवार नियोजन सिर्फ़ एक मानवाधिकार का मामला भर नहीं है.

ये मुद्दा महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में बहुत महत्वपूर्ण है.

परिवार नियोजन से ग़रीबी दूर करने में मदद मिलती है और अन्ततः टिकाऊ विकास हासिल करने की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि परिवार के बारे में लाभकारी योजना बनाने के रूप में लोगों के इस मानवाधिकार को सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है कि सभी लोगों को तमाम सूचनाएँ बिना किसी भेदभाव के दी जाएँ.

साथ ही सभी को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ सही समय पर और बिना किसी भेदभाव के मिलें और ये सभी वैज्ञानिक तौर पर सटीक होने चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष विकासशील देशों में परिवार नियोजन को सक्रिय रूप से समर्थन देता है और उसके लिए तमाम सुविधाएँ मुहैया कराने की कोशिश की जाती है.

इनमें आधुनिक तकनीक से बनाए गए गर्भनिरोधक साधन भी शामिल हैं.

साथ ही इन देशों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत और सुचारू बनाने और महिलाओं और पुरूषों के बीच समानता क़ायम करने की भी भरपूर कोशिश की जा रही है.