महबूब ख़ान, संयुक्त राष्ट्र रेडियो
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन FAO ने कहा है कि बहुत से ग़रीब देशों के अपने लोगों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों से आयात पर निर्भर रहने की बहुत ज़्यादा सम्भावना है.
संगठन ने मंगलवार को कहा कि इन ज़्यादातर ग़रीब देशों की आबादी लगातार बढ़ रही है और उनके पास प्राकृतिक संसाधनों की बहुत तेज़ी से कमी होती जा रही है.
खाद्य और कृषि संगठन ने इस बारे में एक ताज़ा रिपोर्ट तैयार की है कि अगले एक दशक के दौरान खाने-पीने की चीज़ों की पैदावार, उपलब्धता और कारोबार का रुख़ क्या रहेगा.
एजेंसी का कहना है कि अगले एक दशक के दौरान ऐसे देशों से ज़रूरी चीज़ों का निर्यात बढ़ने की सम्भवाना है जहाँ खेतीबाड़ी के इस्तेमाल के लिए ज़मीन भरपूर है. ऐसे देश अमरीका क्षेत्र में ज़्यादा हैं.
लेकिन मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्रों के देशों में ऐसे हालात नहीं है, यानी उन देशों में खेतीबाड़ी के लिए समुचित ज़मीन उपलब्ध नहीं है.
साथ ही पानी की उपलब्धता भी बहुत कम है जिससे इन देशों को अन्य देशों से ज़रूरी सामान के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है.
इनमें रोज़मर्रा काम आने वाली चीज़ें और जीवित रहने के लिए खाने-पीने के सामान शामिल हैं.
इतना ही नहीं, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देशों में मौसम के बिगड़ते मिज़ाज की घटनाएँ भी बहुत होती हैं. इनमें सूखा पड़ना शामिल है.
इस वजह से इन देशों में खेतीबाड़ी बहुत कम ही हो पाती है.
वैसे भी इन देशों में चूँकि प्राकृतिक संसाधनों की भारी क़िल्लत है इसलिए इन देशों में खाने पीने की चीज़ों की भारी कमी होती है.
इसका नतीजा होता है कि इन देशों की बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार हो जाती है.
खाद्य और कृषि संगठन का कहना है कि इस बढ़ती समस्या का सामना करने के लिए तैयार की गई रिपोर्ट में कुछ सिफ़ारिशें पेश की गई हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयात पर निर्भर रहने वाले देशों को अपने यहाँ ऐसी फ़सलें पैदा करने से बचना चाहिए जिन्हें पानी की ज़्यादा ज़रूरत होती है.
इसके बजाय उन्हें ग्रामीण इलाक़ों में खेतीबाड़ी की टिकाऊ तकनीक और ज़्यादा क़ीमतें देने वाले पदार्थों के उत्पादन में ज़्यादा धन निवेश करना चाहिए.