संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयुक्त ज़ायद राआद अल हुसैन ने इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़लस्तीनी इलाक़ों में ऐसे हमलों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है जिनसे फ़लस्तीनियों के मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है.
फ़लस्तीनी लोगों के बुनियादी अधिकारों पर बनी कमेटी को सम्बोधित करते हुए ज़ायद राआद अल हुसैन ने इसराइल और ग़ाज़ा के बीच सीमा के निकटवर्ती इलाक़ों में पिछले कुछ महीनों के दौरान हिंसा में नाटकीय तरीक़े से आई तेज़ी पर भी गम्भीर चिन्ता व्यक्त की.
इन महीनों के दौरान इसराइली गोलीबारी में अनेक फ़लस्तीनी प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है.
ज़ायद राआद अल हुसैन का कहना था कि किसी भी पक्ष द्वारा ऐसे अंधाधुंध और ज़रूरत से ज़्यादा हथियारों का इस्तेमाल करना अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में प्रतिबन्धित है जिनसे आम लोग हताहत हो सकते हों.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आम नागरिकों के ख़िलाफ़ इस तरह का ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग करने से ना सिर्फ़ शान्ति की सम्भावनाएँ ख़तरें में पड़ सकती हैं, बल्कि ज़्यादा बड़े क्षेत्र में हालात ख़राब होने का ख़तरा है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों के बेहद ख़राब हो चुके हालात की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा…
ग़ाज़ा में रहने वाले फ़लस्तीनियों को जब तब ऐसी हिंसा का सामना करना पड़ता है जिससे वहाँ पहले से ही मौजूद मानवीय संकट के हालात और ज़्यादा गम्भीर हो जाते हैं.
ग़ाज़ा में बेरोज़गारी और ग़रीबी रॉकेट की रफ़्तार से बढ़ रही है. बुनियादी ढाँचा बिल्कुल तहस-नहस हो चुका है, लोग रोज़मर्रा की ज़रूरतों और खाने-पीने के सामान के लिए एजेंसियों की मदद पर निर्भर हैं.
इसके अलावा राजनैतिक अन्धकार और हताशा ने लोगों में भारी निराशा भर दी है.
ये ऐसे हालात हैं जो इंसानों की ग़लत नीतियों और ग़लत फ़ैसलों की वजह से पैदा हुए हैं जिससे इंसानों की ज़िन्दगी दूभर हो गई है. जबकि इन ख़राब हालात को पूरी तरह से रोका और बेहतर हालात में बदला जा सकता है.
उन्होंने चिन्ता और हताशा व्यक्त करते हुए कहा कि पश्चिमी तट और पूर्वी येरूशलम में इसराइल द्वारा ग़ैर क़ानूनी यहूदी बस्तियों का निर्माण क़ानून का कोई ख़याल किए बिना जारी है जिससे शान्ति की सम्भावनाएँ और धूमिल हो रही हैं.
उनका ये भी कहना था कि फ़लस्तीनियों के घरों और इमारतों को जबरन गिराकर बहुत से फ़लस्तीनियों को जबरन उनके घरों और इलाक़ों से निकाला जा रहा है.