महबूब ख़ान, संयुक्त राष्ट्र रेडियो
बुधवार, 23 मई को International Day to End Obstetric Fistula मनाया गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार ये एक ऐसी गम्भीर और तकलीफ़ देने वाली घायलावस्था है जो महिलाओं को बच्चा पैदा करने के दौरान हो सकती है.
ये तकलीफ़ देने वाली अवस्था किसी भी महिला को उस समय होती है जब बच्चा पैदा होने की प्रक्रिया का दर्द यानी लेबर पेन बहुत लम्बे समय तक चलता है और उसका समय पर कोई इलाज नहीं किया जाता है.
सब सहारा अफ्रीका, एशिया, अरब क्षेत्र, लातीनी अमरीका और कैरीबियाई देशों में 20 लाख से भी ज़्यादा महिलाएँ इस ज़ख़्म की तकलीफ़ के साथ जीवन जीने को मजबूर हैं.
हर साल दुनिया भर में पचास हज़ार से एक लाख के बीच ऐसे नए मामले आते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की एक विशेषज्ञ डॉक्टर मौरिस बुकागू ने बताया कि इस तरह की तकलीफ़ देने वाली घायलावस्था को होने से पहले ही रोकना यानी Prevention बहुत ज़रूरी है.
चिन्ता की बात ये है कि इस तरह की तकलीफ़ बर्दाश्त करने वाली औसतन 50 में से सिर्फ़ एक महिला को ही इलाज की सुविधा उपलब्ध है.
डॉक्टर मौरिस बुकागू का कहना था, “मुख्य रणनीति ये होनी चाहिए कि बच्चा पैदा करने के लिए गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य केन्द्र हों जहाँ प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी इस काम को अन्जाम दें. ”
“कहने का मतलब ये है कि जिन महिलाओं को बच्चा पैदा करने वाला दर्द यानी लेबर पेन होता है उनकी देखभाल प्रशिक्षित दाइयों या Midwives की निगरानी में होनी चाहिए. इतना ही नहीं, अगर कोई जटिलता हो तो डॉक्टर की सुविधाएं तुरन्त उपलब्ध होनी चाहिए.”
उनका ये भी कहना था कि गर्भवती महिलाओं की इस स्वास्थ्य चुनौती का मुक़ाबला कम उम्र में लड़कियों की शादियाँ ना करके और कम उम्र में बच्चा नहीं पैदा करने की रणनीति पर अमल करके भी किया जा सकता है.
कहने का मतलब ये है कि लड़कियों की शादी तभी की जाए जब वो परिपक्व हो जाएँ और बच्चे भी परिपक्वता के बाद ही पैदा किए जाने चाहिए.