महबूब ख़ान, संयुक्त राष्ट्र रेडियो
बहुत से देशों में अब भी मानसिक बीमारियों की ठीक से समझ नहीं है और मानसिक बीमारियों को अक्सर भूत-प्रेतों का साया बताकर या तो टाल दिया जाता है फिर अन्धविश्वासों के ज़रिए उनका इलाज किया जाता है.
अब जबकि मानसिक बीमारियों के बारे में ज़्यादा समझ बढ़ रही है तो उनका इलाज करने के लिए मानसिक स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी देखी गई है.
साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का इलाज करने वाले अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं में समुचित मात्रा में धन निवेश नहीं किया जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने बुधवार को साल 2017 के लिए Mental Health Atlas यानी मानसिक स्वास्थ्य एटलस जारी की है.
संगठन में मानसिक स्वास्थ्य और नशीले पदार्थों के दुरुपयोग विभाग के निदेशक डॉक्टर शेखर सक्सेना का कहना था कि इस एटलस के ताज़ा अंक से ये जानकारी और सबूत सामने आए हैं कि अब भी मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं में संसाधन समुचित मात्रा में और तेज़ी से नहीं लगाए जा रहे हैं.
संगठन के आँकड़े बताते हैं कि 10 में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल या इलाज की ज़रूरत होती है.
लेकिन कम आमदनी वाले देशों में मानसिक स्वास्थ्यकर्मियों और विशेषज्ञों की संख्या बहुत कम है.
ये संख्या इतनी कम है कि क़रीब दस लाख लोगों की मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल की ज़रूरतों के लिए सिर्फ़ दो फ़ीसदी यानी एक लाख पर क़रीब दो हज़ार स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध होते हैं.
वैसे तो क़रीब 139 देशों में मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए नीतियाँ और योजनाएँ मौजूद हैं मगर उनमें से आधे से भी कम देशों ने मानवाधिकार समझौतों और सन्धियों के साथ तालमेल बिठाया है.
इन मानवाधिकार सन्धियों और समझौतों में मानसिक स्वास्थ्य की जटिलताओं और समस्याओं का सामना करने वाले लोगों को मनोवैज्ञानिक देखभाल से हटाकर समुदाय यानी Community Based Services में स्थानान्तरित करने की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है.
ये इन्सान की फ़ितरत है कि हर इन्सान ख़ुद को आम लोगों के बीच ज़्यादा विश्वस्त और प्रसन्न महसूस करता है बशर्ते कि वो समुदाय एक दूसरे की देखभाल करते हों.
डॉक्टर शेखर सक्सेना ने आगाह करते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए संसाधन तुरन्त नहीं बढ़ाए गए तो इसके ज़्यादा बड़े नुक़सान हो सकते हैं.
जिसकी और भी ज़्यादा सामाजिक और आर्थिक क़ीमत चुकानी पड़ेगी.
और ये नुक़सान इतना बड़ा हो सकता है जितना पहले कभी नहीं देखा गया.