महबूब ख़ान, संयुक्त राष्ट्र रेडियो
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने कहा है कि माली में लगातार ख़राब होते सुरक्षा हालात की वजह से लाखों बच्चों का जीवन ख़तरे में पड़ गया है.
माली के उत्तरी हिस्से में साल 2012 तक इस्लामी चरमपंथियों का दबदबा था जिन्हें फ्रांसीसी सेना ने बेदख़ल किया था.
तभी से वहाँ अस्थिरता और असुरक्षा के हालात हैं.
संयुक्त राष्ट्र के शान्ति सैनिक माली में शान्ति बहाल करने के प्रयासों में लगे हैं लेकिन उन पर इस्लामी चरमपंथियों के हमले होते रहते हैं.
कहा ये जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र शान्ति सैनिकों का ये बेहद ख़तरनाक़ मिशनों में से एक है.
माली में असुरक्षा के हालात की वजह से पाँच साल से कम उम्र के क़रीब साढ़े आठ लाख बच्चे Acute Malnutrition यानी गम्भीर कुपोषण का शिकार हो गए हैं.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता क्र्सिटोफ़े बुलिएरैक ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि इनमें से क़रीब ढाई लाख का स्वास्थ्य समुचित खाना-पानी नहीं मिलने की वजह से इतना बिगड़ गया है कि उनकी मौत हो जाने का ख़तरा पैदा हो गया है.
प्रवक्ता का कहना था, “इन बच्चों के हालात की तरफ़ दुनिया का कोई ध्यान नहीं है और ये लगातार हिंसा का शिकार होते रहते हैं. इन हालात में भूखे पेट रहने वाले और कुपोषण का शिकार होने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है.”
“इस वजह से ये बच्चे शिक्षा हासिल करने से भी वंचित हैं और बहुत से बच्चे तो जीवन के शुरूआती दिनों में ही मौत के मुँह में जा रहे हैं.”
यूनीसेफ़ का कहना है कि ख़ासतौर से माली के उत्तरी इलाक़ों में खाने-पीने के सामान की भारी कमी है.
इनमें टिम्बकटू का इलाक़ा शामिल है जहाँ Sever Acute Malnutrition यानी बेहद गम्भीर कुपोषण की तादाद 15 फ़ीसदी हो गई है.
यूनीसेफ़ के अनुसार माली के उत्तरी और कुछ केन्द्रीय इलाक़ों में 750 स्कूल बन्द पड़े हैं और 20 लाख से ज़्यादा बच्चों को तालीम हासिल करने के मौक़े और सुविधाएँ नहीं मिल पा रहे हैं.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटॉनियो गुटेरेस ने बुधवार को माली का दौरा किया और अफ्रीका के सहेल क्षेत्र में आतंकवादी ख़तरों को दूर करने के लिए प्रयासरत क्षेत्रीय सेना के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने का आहवान किया.
महासचिव ने मोप्ती पहुँचने के बाद जी 5 सहेल फ़ोर्स बेस का दौरा किया और उन तमाम लोगों का हौसला बढ़ाया जिन्होंने इस क्षेत्रीय शान्ति बल में शामिल होकर अमन और स्थिरता क़ायम करने का बीड़ा उठाया.
ये फ़ोर्स पूरे सहेल क्षेत्र में बढ़ते चरमपंथ के मद्देनज़र शान्ति और स्थिरता बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
जी5 फ़ोर्स के गठन में बुर्किना फासो, चैड, माली, मौरीतानिया और नाइजेर नामक पाँच देशों ने संसाधन मुहैया कराए हैं.