लीबिया सहित कई देशों से यूरोपीय देशों में दाख़िल होने की कोशिश करने के लिए भूमध्य सागर का रास्ता लेने वाले कम से कम 1500 लोगों की मृत्यु हो गई है.
पिछले पाँच वर्षों से लगातार ऐसा हो रहा है जब बेहतर जीवन की तलाश में अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले सैकड़ों लोगों की ज़िन्दगी रास्ते में ही समाप्त हो जाती है.
हालाँकि एक तसल्ली की बात ये है कि साल 2018 में 2017 के मुकाबले यूरोपीय देशों का रुख़ करने वाले लोगों की संख्या में कुछ कमी दर्ज की गई है.
इटली जाने वाले लोगों की संख्या में 80 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन IOM का कहना है कि साल 2016 में इन महीनों के दौरान क़रीब ढाई लाख लोग भूमध्य सागर के रास्ते यूरोपीय देशों, ख़ासतौर पर इटली की तरफ़ रुख़ कर रहे थे.
लेकिन साल 2018 में इन महीनों के दौरान ढाई लाख की क़रीब 20 फ़ीसदी संख्या ने ही अपने जीवन को जोखिम में डालने का फ़ैसला किया.
अब अभी तक ये चलन देखा गया है कि भारी संख्या में लोग असुरक्षित नावों और जहाज़ों में बेतहाशा संख्या में भरकर सफ़र करते थे जिससे वो नावें और जहाज़ अक्सर डूब जाते थे या अपना सन्तुलन खो बैठते थे.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन आईओएम के एक पदाधिकारी जोएल मिलमैन का कहना था कि प्रवासियों के लिए साल 2018 अभी तक का सबसे ख़तरनाक और जानलेवा साल रहा है.
जोएल मिलमैन का कहना था, “हमारी जानकारी के मुताबिक़ बीते सप्ताह लीबिया में दो शव पाए गए और मोरक्को के किनारे पर दस शव बरामद हुए. इसलिए इस सप्ताह भूमध्य सागर के ज़रिए यूरोपीय देशों के लिए सफ़र के दौरान ही मौत का शिकार हो जाने वाले इन प्रवासियों की संख्या 1500 पार कर गई.”
“ये बहुत तकलीफ़ देने वाली बात इसलिए है क्योंकि पिछले पाँच वर्षों से लगातार भारी संख्या में प्रवासियों की जानें जाती रही हैं. ये ध्यान रखने की है कि इटली पहुँचने वाले लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं है इसलिए मौत का शिकार होने वाले लोगों की संख्या का अनुपात बहुत ज़्यादा बैठ रहा है. ”
उनका कहना था कि मसलन अगर हर एक हज़ार संख्या पर मारे जाने वाले प्रवासियों की संख्या की तुलना की जाए तो ये बहुत चिन्ताजनक आकड़ा हो सकता है.
उनका कहना था कि इटली पहुँचने की कोशिश करने वाले हर 17 में से एक व्यक्ति मौत का शिकार हो जाता है.
दूसरी तरफ़ स्पेन का रास्ता लेने वाले हर 70 में से एक व्यक्ति की मौत होती है.