ये कहने की बात नहीं है कि हम सभी को जीविका चलाने के लिए कुछ ना कुछ कामकाज करना पड़ता है और अगर कामकाज की शर्तें और माहौल अनुकूल होता है तो सभी ना सिर्फ़ अच्छा महसूस करते हैं, बल्कि उससे उत्पादकता भी बढ़ती है.
मगर दुनिया भर में कामकाजी लोगों की क़रीब 60 फ़ीसदी संख्या अनौपचारिक क्षेत्र यानी Informal Sector में काम करती है जहाँ अक्सर हालात बहुत अच्छे नहीं होते हैं.
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन आई एल ओ ने एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में क़रीब दो अरब से भी ज़्यादा लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं.
क़रीब 100 देशों में हालात का जायज़ा लेने के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई है और रिपोर्ट कहती है कि इन दो अरब लोगों की क़रीब 93 फ़ीसदी संख्या उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले और विकासशील देशों में रहती है.
अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली इस कामकाजी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा यानी क़रीब 63 फ़ीसदी पुरुष हैं.
इस सैक्टर में काम करने वाली महिलाओं की संख्या क़रीब 58 फ़ीसदी है. इस रिपोर्ट को तैयार करने में सहयोग करने वाली एक विशेषज्ञ फ्लोरेंस बोन्नेट ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले सभी कामकाजी लोग वैसे ग़रीब तो नहीं हैं.
मगर ये भी विडम्बना है कि ग़रीबी दूर करने के लिए वो काम करने को मजबूर होते हैं और उनके कामकाजी हालात की वजह से ही वो ग़रीबी की दलदल से बाहर नहीं निकल पाते हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने की बहुत सख़्त ज़रूरत है.
क्योंकि अनौपचारिक क्षेत्र यानी Informal Sector में काम करने वालों को सामाजिक सुरक्षा हासिल नहीं होती है, कामकाज के स्थानों पर भी उनके लिए हालात सम्मानजनक और ख़ुशहाल नहीं होते हैं.
इससे लोगों का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी कमज़ोर रहता है, और इसी वजह से उत्पादकता में भी कमी रहती है, और अन्ततः कारोबारों को नुक़सान होता है.