मछलियों से भरता करोड़ों का पेट

दुनिया भर में मछली पालन और मछली के शिकार के कारोबार से ऐसे लोगों और परिवारों को जीने का सहारा मिल रहा है जो अत्यन्त ग़रीब हैं और जिनके पास अपना पेट पालने के लिए और कोई ज़रिया नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन FAO की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट में ये आँकड़े सामने आए हैं. इस रिपोर्ट को नाम दिया गया है – State of World Fisheries and Aquaculture.

रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में क़रीब छह करोड़ लोग अपनी जीविका चलाने के लिए सीधे तौर पर मछली पालन, मछलियों के शिकार और अन्य समुद्री गतिविधियों के कारोबार पर निर्भर हैं.

संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने इस बारे में और ज़्यादा जानकारी देते हुए बताया कि साल 2030 तक मछली उत्पादन 20 करोड़ 10 लाख टन तक बढ़ जाएगा.

“ये बढ़ोत्तरी मौजूदा मछली उत्पादन से क़रीब 18 फ़ीसदी ज़्यादा होगी. इस समय दुनिया भर में मछली का उत्पादन लगभग 17 करोड़ 10 लाख टन होता है. खाद्य और कृषि संगठन ने आगाह करते हुए ये भी कहा है कि बढ़े हुए मछली उत्पादन को संभालने के लिए ज़्यादा बेहतर प्रबन्धन और सुविधाओं की दरकार होगी.”

फ़रहान हक़ का कहना था कि इसमें मछली को बर्बाद और बेकार होने से बचाने और मछलियों के ग़ैर-क़ानूनी तरीक़ों से शिकार और कारोबार को भी रोकने के इन्तज़ाम करने होंगे.

“साथ ही जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का भी समझदारी और सफलता से मुक़ाबला करने की ज़रूरत होगी.”

उधर खाद्य और कृषि संगठन के महानिदेशक होज़े ग्रेज़ियैनो डी सिल्वा का कहना था कि मछली पालन और मछली शिकार क्षेत्र संगठन के लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

ये लक्ष्य हैं – दुनिया भर से ग़रीबी और कुपोषण को दूर करके ख़ुशहाल जीवन सम्भव बनाने में मदद करना.

उनका कहना था कि दुनिया भर में आर्थिक प्रगति और ग़रीबी दूर करने की जद्दोजहद में मछली उद्योग का योगदान लगातार बढ़ रहा है.