नशे की बढ़ती पैदावार और तस्करी

नशीले पदार्थों और अपराधों पर नज़र रखने वाले संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय यानी UN Office on Drugs and Crime (UNODC), ने आगाह करते हुए कहा है कि एशिया का मिकाँग क्षेत्र मेथ नामक बेहद ख़तरनाक नशीले पदार्थ की बढ़ती पैदावार और तस्करी का इलाक़ा बनता जा रहा है.

इस नशीले पदार्थ को मीथेम्फेटेमाइन के नाम से भी जाना जाता है.

नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिए वरिष्ठ नीति निर्माताओं ने संयुक्त द्वारा आयोजित एक क्षेत्रीय सम्मेलन में ये चिन्ता व्यक्त की.

ये सम्मेलन म्याँमार की राजधानी नाय प्यी ताव में सोमवार को आयोजित किया गया था.

UN Office on Drugs and Crime (UNODC) का कहना है कि वैसे तो मिकाँग क्षेत्र बहुत समय से हीरोइन के उत्पादन और तस्करी के लिए जाना जाता रहा है मगर हाल के वर्षों में यहाँ नशीले पदार्थों का उत्पादन और तस्करी बहुत तेज़ी से बढ़े हैं.

ऐसे में जब अफ़ीम और हीरोइन का उत्पादन कुछ कम हुआ है तो संगठित अपराध गुटों ने निम्न स्तर और अत्यधिक शुद्ध मेथ के उत्पादन और तस्करी को गहरे चिन्ताजनक स्तर तक तेज़ किया है.

मिकाँग क्षेत्र के कई देशों ने नशीले पदार्थों की इतनी मात्रा बरामद कर ली है जितनी साल 2017 के दौरान ज़ब्त की गई थी.

जबकि अभी साल 2018 के कुछ ही महीने गुज़रे हैं. मिकाँग क्षेत्र में थाईलैंड, लाओस और म्याँमार के सीमावर्ती इलाक़े शामिल हैं.

UNODC ने चेतावनी देते हुए कहा है कि तथाकथित Golden Triangle से मेथ का ग़ैर-क़ानूनी व्यापार अब ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूज़ीलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया तक होने लगा है.

इन देशों में भी मेथ की भारी मात्रा बरामद की जा रही है.

UNODC के क्षेत्रीय प्रतिनिधि जेरेमी डगलस ने सम्मेलन में कहा कि इस चुनौती का सामना करने के रास्ते में दरपेश कठिनाइयों को समझना और एक नई क्षेत्रीय रणनीति बनाना ज़रूरी है.