Climate Change के बढ़ते ख़तरे

दुनिया भर में बहुत तेज़ी से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बावजूद जलवायु परिवर्तन का मुद्दा और ज़्यादा गम्भीर होता जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र की डिपुटी जनरल सेक्रेटरी आमिना मोहम्मद ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन मुद्दे का ख़ासतौर से ज़िक्र किया.

जलवायु परिवर्तन यानी Climate Change पर अपनी चिन्ता जताते हुए आमिना मोहम्मद ने चार ऐसे प्रमुख मुद्दों का ज़िक्र किया जिनकी वजह से आज जीवन की सुरक्षा को ख़तरा पैदा होता है.

उन्होंने जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहे प्रभावों और उनका मुक़ाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मशीनरी द्वारा किए जा रहे उपायों का भी ज़िक्र किया.

डिपुटी जनरल सेक्रेटरी आमिना मोहम्मद ने इस बारे में भी बात की कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुक़ाबला करने के लिए सुरक्षा सम्बन्धी नज़रिया और उपाय भी ध्यान में रखे जाएँ.

आमिना मोहम्मद का कहना था, “ये स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन एक गम्भीर ख़तरा है और ये बहुत तेज़ी से फैल और बढ़ रहा है. आज देखने में ऐसा लग सकता है कि जलवायु परिवर्तन का ख़तरा सभी देशों में समान रूप से नहीं बढ़ और फैल रहा हो. लेकिन दीर्घकालीन नज़रिए से देखा जाए तो जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों से कोई भी देश अछूता नहीं रह सकेगा.”

“जलवायु परिवर्तन के ख़तरों से निपटने के लिए पूरी मानवता को एकजुट होकर काम करना होगा. इसके लिए एकजुट नज़रिया और पक्के इरादे वाला आपसी सहयोग बहुत ज़रूरी है. सिर्फ़ इसी नीयत, रणनीति और हौसले के ज़रिए जलवायु परिवर्तन की चुनौती का कोई टिकाऊ हल निकाला जा सकेगा.”

उन्होंने ख़ासतौर पर जलवायु परिवर्तन और अनेक देशों में सुरक्षा की चुनौतियों के बीच मौजूद कड़ी और सम्बन्ध की ओर ध्यान दिलाया.

उनका कहना था कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का मुक़ाबला करने में नाकाम रहने वाले अक्सर वही देश हैं जहाँ गम्भीर संघर्ष और युद्ध चल रहे हैं जिनकी वजह से उनके आर्थिक और सामाजिक हालात बिखर गए हैं.

लेकिन सुरक्षा की ज़रूरतों और हालात पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनेक रूप हो सकते हैं.

जलवायु परिवर्तन की चुनौती की वजह से खाने-पीने के सामान की भारी कमी हो सकती है, पालतू और खेतीबाड़ी में काम आने वाले मवेशियों की मौत होने से भारी नुक़सान हो सकता है.

यहाँ तक कि प्राकृतिक संसाधानों का भारी नुक़सान हो सकता है.

इनमें से ज़्यादातर नुक़सान समय गुज़रने के साथ ही नज़र आते हैं.