सीरिया में तबाही के लिए शब्द नहीं…

सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध के प्रभावित लोगों को मदद पहुँचाने की कोशिश में लगीं संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों का कहना है कि वहाँ मानवीय संकट और ज़्यादा गहराता जा रहा है.

हालाँकि पिछले सात सालों के दौरान संकट गहराने को परिभाषित करने वाले शब्द भी अब कम पड़ते जा रहे हैं या उनके अर्थों से ज़मीनी स्थिति की गम्भीरता को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय शायद पूरी तरह समझ नहीं पा रहा है.

सीरिया के पूर्वी ग़ूता और पश्चिमोत्तर इलाक़े – आफ़रीन में सरकारी और विद्रोही सेनाओं के बीच भीषण युद्ध जारी है.

पूर्वी ग़ूता तो राजधानी दमिश्क से कुछ किलोमीटर की ही दूरी पर है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष UNICEF के अनुमान के मुताबिक़ 13 मार्च के बाद से पूर्वी ग़ूता इलाक़े से क़रीब 50 हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.

इन 50 हज़ार लोगों में क़रीब 70 फ़ीसदी महिलाएँ और बच्चे थे. यूनीसेफ़ प्रवक्ता मिरिक्सी मरकैडो का कहना था कि ये लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुँचकर राहत की साँस ले रहे हैं, ख़ासतौर से बच्चे बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

ये सभी लोग बहुत थके हुए और भूखे हैं, इसके बावजूद उनकी ख़ुशी और राहत का अन्दाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके ठहाके और खेल-कूदने का शोर आसपास सुनाई दे रहा है, जोकि सहायता कर्मियों के लिए बहुत सन्तुष्टि की बात है.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी UNHCR का कहना है कि काम अभी पूरा नहीं हुआ है क्योंकि लाखों लोग अब भी ऐसे स्थानों पर फँसे हुए हैं जहाँ से उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाना बाक़ी है.

हालात बहुत नाज़ुक और दयनीय हैं क्योंकि भीषण युद्ध की वजह से हर मिनट और हर घंटे मानवीय सहायता की ज़रूरत और ज़्यादा बढ़ती जा रही है.

इस बीच आफ़रीन क्षेत्र में भी लड़ाई और ज़्यादा तेज़ होने की वजह से क़रीब एक लाख चार हज़ार लोग बेघर और विस्थापित हो गए हैं.

वहाँ हालात बहुत तबाही वाले हो गए हैं.

यूनीसेफ़ का कहना है कि आफ़रीन ज़िले में हिंसा और युद्ध में तेज़ी आने की वजह से पिछले क़रीब 20 दिनों से खाने-पीने के सामान और दवाइयों की सप्लाई नहीं की जा सकी है.

पानी से भरे ट्रक भी 15 मार्च के बाद से ज़रूरतमन्द लोगों तक पानी नहीं पहुँचा सके हैं.