सीरिया में अब भी मदद नहीं

फ़रवरी के आख़िरी सप्ताह में सुरक्षा परिषद ने सीरिया में कम से कम एक महीने के लिए युद्ध विराम की माँग करते हुए प्रस्ताव पारित किया था.

उस प्रस्ताव पर सभी पक्षों ने मुस्तैदी से पालन नहीं किया है और तब से लेकर अब तक यानी करीब एक महीने के दौरान 1700 से भी ज़्यादा लोग युद्ध सम्बन्धी गतिविधियों में मारे जा चुके हैं.

संयुक्त राष्ट्र के मुख्य मानवीय सहायता पदाधिकारी मार्क लॉकॉक ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए ये जानकारी दी.

ग़ौरतलब है कि सीरियाई युद्ध अब आठवें साल में दाख़िल हो चुका है और सात वर्षों की इस लड़ाई में जान-माल का भारी नुक़सान और तबाही हुई है.

मार्क लॉकॉक ने सुरक्षा परिषद में मौजूद राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीने तो आम लोगों के लिए बहुत तबाही वाले रहे हैं.

जिनीवा से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए बोलते हुए मार्क लॉकॉक का कहना था, “पूर्वी ग़ूता इलाक़े में फँसे लोगों की मदद करने के लिए सहायता संगठन अब भी नहीं जा पा रहे हैं. ख़ासतौर से डूमा इलाक़े में जहाँ लड़ाई अब भी जारी है.”

“संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठन क़रीब साढ़े 16 हज़ार लोगों तक सहायता साधन पहुँचाने के लिए मुस्तैद हैं. इनमें साफ़ पानी, साफ़-सफ़ाई के साधन, चिकित्सा सामग्री और अन्य सामान शामिल है. लेकिन ये सहायता सामग्री ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँचाने के लिए सीरिया सरकार द्वारा स्वीकृति आदेश पर दस्तख़त किया जाना ज़रूरी है जो अभी तक नहीं किया गया है.”

“मैं महासचिव अंटॉनियो गुटेरेस की ये अपील फिर दोहराता हूँ कि सीरिया में युद्धरत सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार क़ानूनों का पालन और सम्मान करना चाहिए. इनमें ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय सहायता वक़्त पर पहुँचाने देना भी शामिल है. साथ ही आम लोगों के जान-माल की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करना और विस्थापित होने के लिए मजबूर लोगों की मदद करना भी ज़रूरी है.”

उनका ये भी कहना था कि सीरिया के अन्य इलाक़ों में भी मानवीय ज़रूरतें बढ़ रही हैं.

ख़ासतौर से इदलीब में हालात बहुत ख़राब हो रहे हैं जहाँ दिसम्बर से लेकर अब तक क़रीब चार लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.