रोहिंज्या मॉनसून की चपेट में

बांग्लादेश में बारिश का मौसम यानी मानसून शुरू होने में अभी महीने भर का वक़्त बाक़ी है मगर पहले से ही बारिश और तूफ़ानी हवाओं की वजह से रोहिंज्या शरणार्थियों के लिए मुश्किलें पैदा होने लगी हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ का कहना है कि ख़ासतौर से बच्चों के लिए हालात बहुत असुरक्षित हो गए हैं.

ग़ौरतलब है कि म्याँमार में सेना और सुरक्षा बलों के दमन से बचने के लिए क़रीब सात लाख रोहिंज्या Refugees पनाह लेने के लिए बांग्लादेश पहुँचे हुए हैं.

उनमें बड़ी संख्या बच्चों की भी है. ये Refugees कोक्स बाज़ार क्षेत्र में बनाए गए शिविरों में रह रहे हैं जो बांग्लादेश के तटवर्ती दक्षिण-पूर्वी इलाक़े में स्थित है.

यूनीसेफ़ का कहना है कि ये इलाक़ा बांग्लादेश के उन क्षेत्रों में गिना जाता है जहाँ बाढ़ आने का बहुत ख़तरा रहता है.

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियाँ कई सप्ताहों से रोहिंज्या Refugees के लिए मानसून के ख़तरों के बारे में आगाह करती रही हैं.

जबकि मानसून शुरू होने में अभी कई सप्ताहों का समय बाक़ी है, बारिश और तूफ़ानी हवाओं ने पहले ही असर डालना शुरू कर दिया है.

यूनीसेफ़ प्रवक्ता क्रिस्टोफ़ बुलिएरेक ने मंगलवार को जिनेवा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “कल यानी सोमवार को तूफ़ानी हवाओं और बारिश होने पर बहुत से बच्चों को अपने परिवारों को ठिकाना देने वाले घरों और शिविरों की छतों पर बैठे देखा गया.”

“ये बच्चे अपने अस्थाई घरों या शिविरों पर लगी प्लास्टिक की छतों को तेज़ तूफ़ानी हवाओं में उड़ जाने से बचाने की कोशिश कर रहे थे. यूनीसेफ़ का अनुमान है कि बारिश और मानसूनी हालात की वजह से क़रीब एक लाख लोगों के लिए गम्भीर ख़तरा है, इनमें क़रीब 55 हज़ार बच्चे हैं. मानसून के दौरान बाढ़ आने और Landslides यानी ज़मीन धँसने का बड़ा ख़तरा रहता है.”

उनका कहना था कि बारिश के मिज़ाज, तूफ़ानी हवाओं, बाढ़ और भूस्खलन के ख़तरे की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या दो लाख तक भी होने की आशंका है.

बांग्लादेश में मानसून का सीज़न आमतौर पर जून से सितम्बर महीनों के दौरान रहता है.

यूनीसेफ़ ने रोहिंज्या Refugees को मानसून की तबाही से बचाने के लिए पहले ही आपात उपाय करने शुरू कर दिए हैं.

इनमें लोगों के लिए पीने का साफ़ पानी मुहैया कराना, साफ़-सफ़ाई का इन्तज़ाम करना, लोगों के लिए पोषक भोजन आपूर्ति सुनिश्चित करना और अन्य ज़रूरी उपाय किए जा रहे हैं.