संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने पाया है कि लीबिया में सशस्त्र गुटों ने कई वर्षों से हज़ारों लोगों को जेलों में बन्द करके रखा है.
और भी ज़्यादा चिन्ता की बात ये है कि इन हथियारबन्द गुटों का सम्बन्ध कुछ सरकारों से भी रहा है.
ग़ौरतलब है कि साल 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति मुअम्मार गद्दाफ़ी की सरकार ख़त्म होने और उनकी मौत के बाद लीबिया में राजनैतिक अस्थिरता बनी हुई है जिसकी वजह से गृहयुद्ध के हालात हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय OHCHR ने मंगलवार को एक ताज़ा रिपोर्ट जारी करके बताया है कि किस तरह से पूरे लीबिया में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को प्रताड़ना का शिकार बनाया गया है.
इस दमनकारी चलन में बहुत से लोगों को उनके क़बीलों या परिवारों से सम्बन्धित होने की वजह से ज़ुल्मो-सितम का शिकार बनाया जाता है.
बहुत से लोगों को उनकी राजनैतिक पहचान या विचारों के लिए भी प्रताड़ित किया जाता है.
रिपोर्ट कहती है कि क़रीब साढ़े छह हज़ार लोगों को ऐसी जेलों में बन्दी बनाकर रखा गया है जिनकी निगरानी बहुत से मंत्रालय करते हैं.
इस बारे में ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है कि सशस्त्र गुटों के नियंत्रण वाली जेलों में कितने लोगों को बन्दी बनाकर रखा गया है या कितने लोगों की मौत हो गई है.
लीबिया की विभिन्न सरकारें क़ानून और व्यवस्था क़ायम करने की दलीलें देकर ऐसे हथियारबन्द गुटों को इस तरह की जेलें चलाने और उनमें लोगों को बन्दी बनाकर रखने और प्रताड़ित करने की छूट देती रही हैं.