सैनिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने वाले ड्रोन और अन्य ऐसे अत्याधुनिक और स्वचालित हथियारों को इंसानों के नियंत्रण में रखना बहुत ज़रूरी हो गया है जिनके ज़रिए इंसानों को मारा जा सकता है.
इस मुद्दे पर सोमवार को जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष सम्मेलन हुआ.
इस सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों ने Lethal Autonomous Weapons Systems यानी LAWS मुद्दे पर गम्भीर और विस्तृत चर्चा की.
इस प्रणाली के तहत ऐसे हथियारों की मौजूदगी पर गम्भीर चिन्ता जताई गई जिन्हें इंसानों को नुक़सान पहुँचाने के लिए स्वचालित मशीनों की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
तकनीक की दुनिया में बहुत तेज़ी से आ रहे बदलावों और प्रगति को देखते हुए इस क्षेत्र में और ज़्यादा सक्रिय अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और एकजुटता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया.
यूरोपीय संघ की प्रतिनिधि ऐन्न कैम्पेनेन ने जिनीवा सम्मेलन में अपनी बात कुछ इन शब्दों में रखी.
“हमारा ये पक्का विश्वास है कि जहाँ इंसानों की ज़िन्दगी और मौत का फ़ैसला करने वाली तकनीक का इस्तेमाल होता है तो वहाँ उस पर इंसानों का ही जीवित नियंत्रण होना चाहिए और इंसानों की ज़िन्दगी और मौत के बारे में अन्तिम फ़ैसला सिर्फ़ मशीनों पर नहीं छोड़ा जा सकता.”
उनका कहना था, “स्वचालित हथियारों और ऐसी तमाम प्रणालियों के इस्तेमाल पर इंसानी नियंत्रण होना बहुत ज़रूरी है. और इन मशीनों का इस्तेमाल करने वाले या उनके इस्तेमाल की इजाज़त देने वाले लोगों की जवाबदेही तय होनी चाहिए क्योंकि ये लोगों की ज़िन्दगी और मौत का मुद्दा है.”
“नवम्बर 2017 में हुए सरकारी विशेषज्ञों के एक समूह की बैठक में ये पुष्टि की गई थी कि तमाम तरह के हथियारों के इस्तेमाल पर सभी तरह के अन्तरराष्ट्रीय क़ानून लागू हों, इनमें अन्तरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार क़ानून भी शामिल हैं.
उन्होंने ये भी बताया कि उस बैठक में ये भी कहा गया कि स्वचालित और अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण और उनके इस्तेमाल के लिए तमाम देशों की सरकारों की ज़िम्मेदारी निर्धारित हो ताकि सशस्त्र संघर्षों में उनके इस्तेमाल के बारे में जवाबदही सुनिश्चित हो सके.
अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से बनाए जाने वाले घातक हथियारों के सैनिक इस्तेमाल को नियंत्रित करने के मामले में साल 2018 में दो और सम्मेलन होने वाले हैं.