दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मीडिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने और पत्रकारों पर हमले रोकने की ज़ोरदार पुकार लगाई है.
तीन मई को World Press Freedom Day यानी विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर ये पुकार लगाई गई है.
बुधवार को जारी एक संयुक्त घोषणा पत्र में तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और प्रेस की आज़ादी के समर्थकों ने दुनिया भर में मीडिया की स्वतंत्रता और विविधता यानी Diversity को दरपेश ख़तरों की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया है.
ख़ासतौर से डिजिटल मीडिया संस्थानों को निशाना बनाए जाने के चलन से पैदा ख़तरों को भी उजागर किया गया है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल रिपोर्टियर डेविड केय ने भी इस संयुक्त घोषणा पत्र पर दस्तख़त किए हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक संस्थानों और परम्पराओं के सबल होने और फलने-फूलने के लिए निडर, निष्पक्ष और स्वतंत्र मीडिया की मौजूदगी बहुत ज़रूरी है.
उन्होंने तमाम देशों की सरकारों से अनुरोध किया कि वो पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए ठोस उपाय करें.
उनका कहना था कि बहुत से राजनैतिक और कारोबारी लीडर्स पत्रकारों पर दुश्मन का लेबल लगाकर उन्हें झूठे आरोपों में फँसाते हैं.
इसी माहौल और चलन से पत्रकारों के लिए ख़तरे बढ़ रहे हैं. इतना ही नहीं, नीहित स्वार्थों वाले राजनैतिक और कारोबारी लीडर्स पत्रकारों को जन हित में Investigative Journalism यानी खोजी पत्रकारिता करने से भी रोकते हैं जिसका बुरा असर आख़िरकार आम लोगों के हितों पर पड़ता है.
संयुक्त घोषणा पत्र में तमाम देशों की सरकारों से मीडिया की स्वतंत्रता और विविधता को बढ़ावा देने की अपील भी की गई है.
इस संयुक्त घोषणा पत्र यानी Joint Declaration पर Organization for Security and Co-operation in Europe, The Inter-American Commission on Human Rights, और The African Commission on Human and Peoples’ Rights के प्रतिनिधियों ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
इस बीच अनेक पत्रकारों का कहना है कि डिजिटल दुनिया में Fake News यानी झूठी ख़बरों ने बहुत भ्रम फैला दिया है और इस वजह से अक्सर सही सूचना, सच्चाई और झूठी ख़बरों यानी Propaganda में फ़र्क़ कर पाना आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल साबित हो रहा है.
वॉल स्ट्रीट जरनल की एक वरिष्ठ पत्रकार फ़रनाज़ फ़सीही का कहना है कि सोशल मीडिया ने झूठी ख़बरों के वजूद को और आसान बना दिया है क्योंकि सोशल मीडिया के ज़रिए झूठ और प्रोपेगंडा को आसानी से फैलाया जा सकता है.