‘दो राष्ट्रों के हल की सम्भानाएँ धूमिल हो रही हैं’

एक वरिष्ठ फ़लस्तीनी नेता हनान अशरवी ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से मध्य पूर्व शान्ति वार्ता को टिकाऊ रूप में फिर से शुरू करने की अपील की है.

फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन पीएलओ की कार्यकारी कमेटी की एक सदस्या हनान अशरवी ने कहा है कि मध्य पूर्व समस्या का हल इसराइल और फ़लस्तीन के रूप में दो राष्ट्रों के रूप में निकालने की कोशिशें धूमिल होती जा रही हैं जिससे चिन्ता बढ़ रही है.

सोमवार को ग़ाज़ा सीमा के निकट प्रदर्शनों और इसराइली गोलीबारी में फ़लस्तीनियों की मौत को उन्होंने नरसंहार क़रार दिया. इस गोलीबारी में सैकड़ों फ़लस्तीनी घायल भी हुए हैं.

हनान अशरवी का ये भी कहना था कि इससे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता कि फ़लस्तीनी लोग कहाँ रह रहे हैं, फ़लस्तीनी लोग जहाँ कहीं भी रह रहे हैं, वो एक फ़लस्तीनी समुदाय और राष्ट्र के तौर पर जाने जाते हैं.

उनकी तकलीफ़, उनका दुख-दर्द, उनकी उम्मीदें-आकांक्षाएँ सभी एक हैं.

उनका कहना था कि कुछ पक्षों के लिए ग़ाज़ा में सत्तारूढ़ हमास गुट के नेतृत्व पर सोमवार की हिंसा का दोष मंढ देना एक रास्ता हो सकता है मगर ये समस्या की गम्भीरता और अहमियत को नकारने जैसा है.

ऐसा गोलीबारी और फ़लस्तीनियों की मौत के लिए इसराइली ज़िम्मेदारी से ध्यान हटाने के प्रयासों के तहत किया जा रहा है.

जबकि ये साफ़ नज़र आता है कि इसराइल ने गोलीबारी करके निहत्थे फ़लस्तीनी नागरिकों की जानबूझकर और इरादतन हत्याएँ की हैं.

यू एन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत में हनान अशरवी का कहना था, “अब सवाल सिर्फ़ बातचीत या शान्ति वार्ता का नहीं बचा है. असल सवाल ये है कि क्या टिकाऊ शान्ति के लिए कोई संकल्प और कोई टिकाऊ हल निकालने के लिए राजनैतिक इच्छा भी बची है या नहीं.”

“1991 में जब से शान्ति वार्ता शुरू हुई, उसके बाद से हमने और ज़्यादा फ़लस्तीनी क्षेत्रों पर सिर्फ़ इसराइली क़ब्ज़े को बढ़ते देखा है. इसके अलावा इसराइल की इकतरफ़ा कार्रवाइयाँ और शान्ति की सम्भावनाओं को धूमिल करने के प्रयास देखे गए हैं.”

हनान अशरवी का कहना था, “फ़लस्तीनी क्षेत्रों में यहूदी बस्तियों के विस्तार और येरूशलम को छीनने के प्रयास लगातार जारी रहे हैं. फ़लस्तीनियों का नरसंहार होता रहा है और ये सब घटनाक्रम शान्ति की सम्भावनाओं को और मुश्किल बनाते जा रहे हैं. ”

हनान अशरवी मध्य पूर्व शान्ति वार्ता में फ़लस्तीनी प्रतिनिधि रही हैं.

फ़लस्तीनी लोगों को बुनियादी अधिकारों को सुनिश्चित बनाने के उपायों पर विचार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष कमेटी ने संयुक्त मुख्यालय में एक परिचर्चा आयोजित की थी.

उसी में भाग लेते हुए हनान अशरवी ने ये विचार व्यक्त किए.