… ताकि साफ़ हवा में साँस ले सकें…

 

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन FAO ने शहरी इलाक़ों में और ज़्यादा हरे-भरे इलाक़े विकसित करने का आहवान किया है. 21 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय वन दिवस के मौक़े पर संगठन का कहना है कि शहरी इलाक़ों में ज़्यादा से ज़्यादा हरियाली को बढ़ावा देने से ना सिर्फ़ वहाँ का माहौल ज़्यादा ख़ुशगवार और स्वास्थ्यवर्धक होगा बल्कि ये पूरी पृथ्वी के लिए बेहतर होगा.

अन्तरराष्ट्रीय वन दिवस के मौक़े पर संगठन के रोम स्थित मुख्यालय में एक विशेष समारोह आयोजित किया गया.

संगठन के अध्यक्ष होज़े ग्रेज़ियेनो डी सिल्वा ने इस मौक़े पर कहा, “शहरी इलाक़ों में पेड़-पौधे और हरियाली हवा और फ़िज़ाँ को ठंडा रखने यानी ख़ुशगवार रखने में मदद करेगी. इससे मशीनों के ज़रिए ठंडक हासिल करने यानी Air Conditioning की ज़रूरत कम होगी. साथ ही बिजली और अन्य तरह की ऊर्जा की खपत कम होगी जिससे बड़ी बचत होगी.”

“शहरी इलाक़ों में पेड़-पौधे और हरियाली हवा और फ़िज़ाँ को ठंडा रखने यानी ख़ुशगवार रखने में मदद करेगी. इससे मशीनों के ज़रिए ठंडक हासिल करने यानी Air Conditioning की ज़रूरत कम होगी. साथ ही बिजली और अन्य तरह की ऊर्जा की खपत कम होगी जिससे बड़ी बचत होगी.”

“शहरी इलाक़ों के आसपास भी भारी संख्या में पेड़-पौधे होने से पानी की सफ़ाई करने और पानी की आपूर्ति नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. पानी को नियंत्रित करने से लाखों-करोड़ों लोगों को पानी उपलब्ध कराने में बड़ी मदद मिल सकती है. साथ ही बड़े वनों और जंगलों में जीव-जन्तुओं को भी ठिकाना मिलता है जिससे पृथ्वी की जैव-विविधता यानी Bio Diversity बरक़रार रखने में मदद मिलती है. और ये कहने की ज़रूरत तो है ही नहीं कि शहरी इलाक़ों में ज़्यादा हरियाली और पेड़ों की मौजूदगी वजह से एक नई जीवन शैली विकसित होगी.”

उनका ये भी कहना था कि “हवा में साँस लेने की उत्सुकता की वजह से लोग स्वस्थ रहने और कसरत करने के लिए प्रोत्साहित महसूस करेंगे. ऐसा करना ख़ासतौर से इसलिए ज़रूरी है कि बहुत से लोग शारीरिक शिथिलता और बहुत चर्बी वाला भोजन खाने की वजह से मोटापे का शिकार हो रहे हैं.”

संगठन का कहना है कि वैसे तो पूरी पृथ्वी के सिर्फ़ 3 फ़ीसदी क्षेत्र पर शहरी आबादी बसती है, मगर इन शहरी इलाक़ों में क़रीब 80 फ़ीसदी ऊर्जा की खपत होती है.

इसके अलावा साठ फ़ीसदी कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन भी शहरी इलाक़ों से ही होता है.

ध्यान दिला दें कि कार्बन डाइ ऑक्साइड उस ग्रीन हाउस समूह की गैसों में से एक जिसकी वजह से पृथ्वी का तापमान तेज़ी से बढ़ रहा है. इसे ही Global Warming कहा जाता है.

ये तो हम सभी जानते हैं कि शहरी इलाक़ों में आबादी लगातार बढ़ रही है.

या यूँ भी कह सकते हैं कि सुविधाओं को देखते हुए ग्रामीण इलाक़ों का भी शहरीकरण होता जा रहा है.

तो ऐसे में खाद्य और कृषि संगठन ने शहरी इलाक़ों में हरियाली विकसित करने और ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाने में धन निवेश करने का आहवान किया है.

इससे ना सिर्फ़ पर्यावरण प्रदूषण को क़ाबू में रखने में मदद मिलेगी बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में भी मदद मिलेगी.