संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटॉनियो गुटेरेस ने फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में शुक्रवार, 30 मार्च को फ़लस्तीनियों और इसराइली सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़पों की निष्पक्ष जाँच की माँग की है.
उन झड़पों में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई थी और 1000 ज़्यादा घायल हुए थे.
ग़ाज़ा की सीमा पर कुछ फ़लस्तीनी Great Return March में हिस्सा ले रहे थे जिसे इसराइली सुरक्षा बलों ने रोकने की कोशिश की.
इसराइली सुरक्षा बलों ने आँसू गैस यानी teargas का भी इस्तेमाल किया जिससे बहुत से लोग दम घुटने से हताहत हुए.
इस जुलूस के तहत फ़लस्तीनी लोग ग़ाज़ा और इसराइल के बीच बनी सीमा यानी Border की तरफ़ मार्च कर रहे थे.
उनकी माँग थी कि ग़ाज़ा की वर्षों से चली आ रही नाकेबन्दी ख़त्म की जाए. इस नाकेबन्दी की वजह से ग़ाज़ा की आर्थिक हालत बहुत ख़राब हो गई है क्योंकि व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियाँ ठप हो गई हैं.
संयुक्त राष्ट्र के एक राजनैतिक अधिकारी का कहना था कि फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 फ़लस्तीनियों की मौत और 1000 से ज़्यादा के घायल होने की पुष्टि की थी.
ताज़ा हालात की जानकारी देने के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक भी बुलाई गई.
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि महासचिव अंटॉनियो गुटेरेस इन हिंसक हालात पर बहुत चिन्तित थे.
उन्होंने सभी सम्बद्ध पक्षों से इस तरह के टकराव के हालात को टालने की अपील की.
उनका ये भी कहना था कि सभी सम्बद्ध पक्षों को ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए जिनकी वजह से जान-माल के नुक़सान का अन्देशा हो, ख़ासतौर से आम लोगों की सुरक्षा को ख़तरे में नहीं डालना चाहिए.
महासचिव अंटॉनियो गुटेरेस का कहना था कि इस तरह के हालात का तक़ाज़ा है कि फ़लस्तीनियों और इसराइलियों के बीच शान्ति वार्ता को फिर से शुरू किया जाए.
ऐसी शान्ति वार्ता जिसके ज़रिए समस्या का शान्तिपूर्ण और टिकाऊ हल निकाला जा सके.
ऐसा हल जिसके तहत दो राष्ट्रों के रूप में इसराइल और फ़लस्तीन साथ-साथ अच्छे पड़ोसियों की तरह शान्तिपूर्ण और सुरक्षित तरीक़े से रह सकें.
वक्तव्य में ये भी कहा गया कि शान्ति प्रक्रिया और शान्तिपूर्ण समाधान तलाश करने के लिए किसी भी तरह के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र हमेशा सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है.